Tuesday 6 December 2011

बूँद !

मैं एक बूँद !
समय की प्रवहमान नदी में
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
खुश हो निर्झर सा गाती
चट्टानों से टकराती
टूटती
फिर जुड़ जाती
कभी भंवर में फंसती
उबरती....समतल पर शांत हो जातो
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
अनंत महासागर में विलीन होने को.....

बूँद !

मैं एक बूँद !
समय के प्रवाहमान नदी में
बहती जाती
बहती जाती
जीवन पथ पर......
खुश हो निर्झर सी गाती
चट्टानों से टकराती 
टूटती 
फिर जुड़ जाती
कभी भंवर में फंसती
उबरती....
समतल पर शांत हो जाती
बहती जाती बहती जाती
जीवन पथ पर
अनंत महासागर में 
विलीन होने को!!!