मैं एक बूँद !
समय की प्रवहमान नदी में
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
खुश हो निर्झर सा गाती
चट्टानों से टकराती
टूटती
फिर जुड़ जाती
कभी भंवर में फंसती
उबरती....समतल पर शांत हो जातो
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
अनंत महासागर में विलीन होने को.....
वाह ...बहुत ही बढि़या।
ReplyDelete.बहुत बढ़िया प्रस्तुति!!
ReplyDeleteNice blog... nice writing...
ReplyDeletePls. remove word verification...
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