आत्मदीप
Wednesday, 2 November 2011
क्षण
चिंता भविष्य
की
अतीत का गम?
अरे पगले होता हर क्षण ही
हमारा पुनर्जन्म!
ये क्षण!
जी रहे हैं जिसमे हम सब
क्या न था कल भविष्य?
या न होगा कल अतीत?
संवरने से इस क्षण के ही
संवारेगा य्ढ़ जन्म
तो क्यूँ न जीने की इस क्षण
में ही
कोशिश करें हम?
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