Saturday, 29 October 2011

प्लानेतारियम


प्लानेतारियम  के 
एक कमरे भर के आकाश में
थल भर के सूरज के 
चारों तरफ घूमती
प्लेट के बराबर पृथ्वी
और उसके भी 
चरों तरफ घूमता
कटोरी के बराबर चन्द्रमा.........

ब्रह्मांड और समय के
 अनंत विस्तार में 
अपने अस्तित्व को ढूंढती मैं!
कहाँ हूँ मैं ?
और कहाँ हैं मेरी समस्याएं?
जिनके लिए मैंने आकाश 
सर पे उठा रखा है?

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