Saturday 29 October 2011

सम्पदा

स्वर्णाभ सूर्य
चांदी सा चन्द्रमा
हीरे से चमकते तारे 
बंद कर लो 
अपनी ह्रदय मंजूषा में 
जिस पर जरूरत नहीं 
किसी ताले की
न चोरी का भय 
महसूस करो 
आनंद लो जी भर
ग्रीष्म का उत्ताप 
वर्षा की रिमझिम फुहार 
शीत ऋतु की ठंडी बयार 
बच्चों की किलकारियां 
अपनों का प्यार 
पृथ्वी यान पर बैठ कर 
मुफ्त में 
परिक्रमा करो सूरज की
अंतरिक्ष में डोलो
कभी तो हृदय की तराजू  पर 
अपनी सम्पदा को तोलों  

 

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